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India Defense Exports: क्या भारत रक्षा क्षेत्र में अपना दबदबा बना पाएगा? 21,000 करोड़ रुपये का निर्यात

India Defense Exports: भारत का रक्षा निर्यात पिछले एक दशक में अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। 2024 में यह रिकॉर्ड 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो एक दशक पहले केवल 2,000 करोड़ रुपये था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि की जानकारी मध्य प्रदेश के म्हो कैंटोनमेंट स्थित आर्मी वॉर कॉलेज (AWC) में दी। उन्होंने कहा कि भारत ने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य तय किया है और इस दिशा में लगातार काम चल रहा है।

भारत का रक्षा निर्यात: एक नई दिशा में कदम

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत में निर्मित उपकरणों की मजबूत मांग बढ़ी है। ये उपकरण अन्य देशों में निर्यात किए जा रहे हैं, जो भारत के रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस स्थिति से भारत को एक नई पहचान मिल रही है और यह देश के रक्षा क्षेत्र की प्रगति को भी दर्शाता है।

भारत के रक्षा निर्यात में इतनी बड़ी वृद्धि यह साबित करती है कि भारतीय रक्षा उद्योग अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन चुका है। इस वृद्धि से भारत की सैन्य क्षमताओं को भी वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है, जिससे देश की सुरक्षा नीति और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा मजबूत हो रही है।

भारत का बढ़ता वैश्विक कद

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय सेना को आधुनिक युद्ध के नए रूपों का सामना करना पड़ रहा है। सूचना युद्ध, एआई-आधारित युद्ध, प्रॉक्सी युद्ध और साइबर हमलों जैसे खतरों का सामना करने के लिए सेना को अत्याधुनिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इस दिशा में सैन्य प्रशिक्षण केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और उनकी मदद से भारतीय सशस्त्र बल भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि भविष्य में कुछ अधिकारी भारतीय दूतावासों या उच्चायोगों में काम करेंगे, जिनका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करना होगा। इन अधिकारियों को भारत की भूमिका को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। यह बताता है कि भारत अपनी वैश्विक स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

सरकार का उद्देश्य भारत को एक आर्थिक और सैन्य शक्ति बनाना

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य भारत को दुनिया की सबसे मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्तियों में से एक बनाना है। उनका मानना है कि आर्थिक समृद्धि सुरक्षा पर निर्भर है और सुरक्षा व्यवस्था तभी मजबूत हो सकती है जब अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो। इस संदर्भ में उन्होंने दोनों क्षेत्रों के बीच आपसी संबंध को महत्वपूर्ण बताया।

भारत का रक्षा उत्पादन और सैन्य क्षेत्र की ताकत अब देश की आर्थिक स्थिति से जुड़ी हुई है। जब तक देश की रक्षा क्षमता मजबूत नहीं होगी, तब तक उसकी आर्थिक शक्ति भी पूरी तरह से सशक्त नहीं हो सकती। इसलिए, सरकार दोनों क्षेत्रों को समान रूप से महत्व दे रही है, ताकि दोनों के बीच संतुलन बना रहे और भारत का सुरक्षा तंत्र और अधिक मजबूत हो सके।

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भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका

रक्षा मंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका की भी सराहना की, खासकर सीमा सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान उनकी तत्परता और योगदान की। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने हर चुनौती का साहसिक तरीके से सामना किया है और भविष्य में भी वे देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

भारत के सशस्त्र बलों ने सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं में भी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने नेपाल में भूकंप से लेकर, जम्मू और कश्मीर में बर्फबारी जैसी आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में अपनी ताकत दिखाई है। यह न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की कुशलता को दर्शाता है, बल्कि देशवासियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के प्रयास

भारत अब अपनी रक्षा आवश्यकता को विदेशी स्रोतों से कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, भारत अब रक्षा उपकरणों का उत्पादन अपने यहां करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय रक्षा उद्योग में विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि घरेलू उत्पादन बढ़ सके और भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके।

इस दिशा में कई रक्षा परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें स्वदेशी विमान, टैंक, हथियार, और अन्य रक्षा उपकरणों का निर्माण शामिल है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से भारत की रक्षा क्षमताओं में जबरदस्त वृद्धि होगी और भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक उपकरण मिलेंगे।

रक्षा निर्यात में भारतीय कंपनियों की भूमिका

भारत के रक्षा निर्यात में भारतीय निजी कंपनियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कंपनियां जैसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), और अन्य निजी क्षेत्र की कंपनियां अब दुनिया के कई देशों को उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा उपकरणों की आपूर्ति कर रही हैं। इन कंपनियों के उत्पादों की गुणवत्ता और तकनीकी क्षमता ने उन्हें वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बना दिया है।

भविष्य की दिशा: भारत का रक्षा निर्यात लक्ष्य

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का लक्ष्य तय किया है। यह लक्ष्य भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक स्तर पर और भी मजबूत करने के उद्देश्य से निर्धारित किया गया है। इसके तहत सरकार और उद्योग दोनों मिलकर काम करेंगे ताकि भारत का रक्षा निर्यात बढ़ सके और देश के रक्षा क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक मजबूत स्थान मिल सके।

भारत की रक्षा निर्यात क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, और यह संकेत है कि देश जल्द ही रक्षा क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है। भारतीय रक्षा उद्योग अब अपनी आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और सरकार इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। रक्षा उत्पादन और निर्यात के इस क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदम यह दिखाते हैं कि भारत अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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